धान की फसल में झींक का प्रयोग कब करें, और प्रयोग करने का सबसे अच्छा तरीका!

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आज के दौर पर खेती करना बहुत ही आसान हो गया है। कहि तरह के आधुनिक नई तकनीक के कृषि यंत्र आ चुके है। इस करत किसानो को खेती करने के लिए बहुत मद्त मिलती है।

हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से झींक का उपयोग कैसे करे और की टाइम पर इसे उपयोग में लाया जाये इस आर्टिकल में आप को पूरी जानकारी देने वाले है, आइये जानेते है।

धान की फसल में झींक का उपयोग कब करें

आजके दौर पर खेती करना बहुत ही आसान हो गया है। कहि तरह के आधुनिक नई तकनीक के कृषि यंत्र आ चुके है। इस करत किसानो को खेती काने के लिए बहुत मद्त मिलती है।

 

जैसे की आप जानते है, धान की फल लगाकर हो जाने पर कुछ की दिनों में फसल की और बीमारी आना चालू हो जाता है। ऐसी कहि बीमारी है जो किसान की धान की फसल खराब कर सकती है। इस लिए किसान कहि तराह की कीटनाशक दवाई का छिडकाव करता है।

इसका मुख्य कारण फसल में झींक की कमी होना। किसान इस बात का खास ध्यान रखें की धान की फसल में झींक का सही तरह उपयोग होना चाइये, नहीं तो फसल को भरी नुकशान हो सकता है।

कहि किसान ऐसे भी है की झींक का उपयोग नहीं करते है। जिसके कारण धान की फसल पर कहि तरह की रोग आने शुरू हो जाते है।

झींक का उपयोग न करने से इस तरह की बीमारी आती है। जयसे की तना छेदक , पत्ता लपेटक , पीली पत्ती , ब्लॉस्ट , खैरा रोग इस तरह की कहि बीमारी फसल को भारी नुकशान क्र सकती है।

धान की फसल में झींक का प्रयोग कब करें

फसल में झींक की कमी के लक्षण कैसे दिकते है ,आएये जानते है।

  • धान के फसल में झींक की कमी से पत्ती पीली दिकणी चालू हो जाती है।
  • धान में अधिक झींक की कमी से पत्ते भूरे रंग के धब्बे दिकना चनु हो जाते है।
  • झींक की कमी धान के नए कल्ले निकलना बंद हो जाते है।
  • फसल का बढ़ाव भी बढ़ना रुक जाते है।
  • फसल में झींक की कमी होने के कारण पत्तिया मुड़ने चालू हो जाती है।
  • झींक की कमी होने के कारण बालिया निकलने में देरी होती है।
  • बालिया भी छोटी निकलती है ।
  • धान में झींक की कमी के कारण खैरा रोग आने लगता है ।
  • झींक की कमी से और भी बहुत सारे बीमारी आने लगती है, इसलिए धान के फसल में झींक डालना अति आवश्यक होता है।

धान के फसल में झींक की कमी को दूर करने के उपाय

  • धान की रोपाई करने के पहले 5 किलोग्राम झींक सल्फेट में मिलकर प्रति हेक्टर छिड़काव करना होता है।
  • 2 किलोग्राम झींक सल्फेट और 10 किलोग्राम यूरिया को 300 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ में डालना होता है।
  • अगर धान के फसल में सही मात्रा में झींक डालते है।
  • तो धान के रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत जादा बढ़ जाती है।
  • इस प्रकार धान की फसल पर रोगो का प्रभाव नहीं होता है।

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