काली हल्दी की खेती भारत में व्यापक रूप से होती है और इसकी मांग विश्वभर में होती है।

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इसकी कीमत पीली हल्दी के मुकाबले काफी अधिक होती है और इससे किसानों को अधिक मुनाफा मिलता है।

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काली हल्दी की खेती के लिए भुरभुरी दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है।

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काली हल्दी के बीजों को हेक्टेयर के आधार पर लगभग 2 क्विंटल खेत में बोया जा सकता है।

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अनाज का पैसा जो परिवार के मुख्य सदस्य के बैंक खाते में भेजे जाएंगे।  

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इसकी पैदावार पीली हल्दी के मुकाबले अधिक होती है और इसलिए इसकी व्यापारिक महत्ता भी बढ़ती है।

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काली हल्दी की प्रमुख गुणधर्मों में से एक है उसके औषधीय उपयोग, जिससे इसे आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण औषधि माना जाता है।

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इसके उपयोग से विभिन्न रोगों के उपचार, जैसे कि एंटीफंगल, एंटी अस्थमा, एंटीऑक्सिडेंट, लोकोमोटर, एंटीबैक्टीरियल, एंटीअल्सर, मांसपेशियों के लिए राहत आदि की जाती है।

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काली हल्दी की खेती में बड़ी सिंचाई की जरूरत नहीं होती है और इसलिए उसे आसानी से उगाया जा सकता है।

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काली हल्दी की फसल का व्यापार पूरे साल बना रहता है और इससे किसानों को अच्छी मुनाफा कमाने का अवसर मिलता है।

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