मार्केट में आया नया सोलर पैनल, सिलिकॉन पैनल के मुकाबले करीब 40% सस्ता सोलर, उत्पन्न करेगा 25% अधिक रोशनी!

Solar Panel New Launch :

Indian Institute of Technology Bhilai (iit bhilai) ने नवीनतम शोध के परिणामस्वरूप 3D हैलाइड पेरोव्स्काइट क्रिस्टल से बना एक नया सौर पैनल लॉन्च किया है।

इस पैनल का उपयोग करने से सिलिकॉन पैनलों की तुलना में लगभग 40% तक की बचत आप पा सकते है। इसके अलावा, यह सोलर पैनल 25% अधिक रोशनी प्रदान कर सकता है।

इसे प्रयोगशाला में 3D हैलाइड पेरोव्स्काइट क्रिस्टल का उपयोग करके इसका निर्माण किया गया है, जिससे इसका विकल्प सिलिकॉन पैनलों की तुलना में अधिक सस्ता हो गया है।

 

तुरही विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में पहली बार यह परियोजना तुरही विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में पहली बार एक नया कदम बढ़ाया है। इससे सौर ऊर्जा के क्षेत्र में नए अवसर खुल सकते हैं।

और इस तरह पर्यावरण को भी संरक्षित किया जा सकता है। यह सौर पैनल आम जनता के लिए भी उपलब्ध होने जा रहा है ताकि उन्हें सस्ती और तकनीकी रूप से उच्च गुणवत्ता वाली सौर ऊर्जा मिल सके।

विकास और उपयोग सौर ऊर्जा प्रकृति का एक अत्यधिक उपयोगी और हरित उपाय है जो सौर कोशिकाओं के माध्यम से बिजली का उत्पादन होती है।

यह प्रकृति के अनुकूल है और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले तंत्रों की तुलना में बहुत कम लागत पर बिजली उत्पन्न करता है। और सौर ऊर्जा के विकास में iit bhilai जैसे शोध संस्थानों का योगदान जरुरी है।

Indian Institute of Technology Bhilai :

नए और उन्नत सौर पैनलों के विकास से इस ऊर्जा स्रोत का उपयोग और भी सरल और सार्थक हो जाएगा और इससे हम अपने पर्यावरण को भी बचा सकेंगे। और पर्यावरण के नुकसान से बचा जा सकता है।

iit bhilai के तहत 3D हैलाइड से बना सोलर पैनल एक महत्वपूर्ण आविष्कार है जो सिलिकॉन पैनल से 40% सस्ता है और 25% अधिक रोशनी प्रदान करता है।

इसे प्रयोगशाला में आसानी से बनाया जा सकता है और यह आम लोगों को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण सौर ऊर्जा तक पहुंच प्रदान कर सकता है। सौर ऊर्जा के इस नए आविष्कार से पर्यावरण को बचाने और बिजली उत्पादन में भी बचत मिलेगी।

यह सोलर पैनल किसी भी यूजर के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है। इसके अलावा, इसे प्रयोगशाला में बनाने के लिए इसकी संश्लेषण प्रक्रिया को काफी आसानी से किया गया है।

इस उपलब्धि के पीछे iit bhilai के रसायन विज्ञान विभाग के वैज्ञानिक डॉ. अरुण कुमार हैं। सत्यजीत गुप्ता का महत्वपूर्ण योगदान रहा। उन्होंने D हैलाइड पेरोव्स्काइट क्रिस्टल का उपयोग करके इस नए सौर पैनल को बनाया है।

जो इसे आसान बना सकता है और सिलिकॉन पैनल की तुलना में अधिक प्रकाश उत्पन्न कर सकता है। और यह आपको कम दाम में भी देखने को मिलेगा।

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