खेत में बना सकते हैं घर? निर्माण से पहले जान लें क़ानूनी नियम, अन्यथा बढ़ जाएगी ये परेशानी!

Legal Rules :

देश में बढ़ती आबादी के कारण लोग अब खेती की जमीन पर घर बनाने का सोच रहें हैं. क्योंकि खुद की जमीन पर घर बनाने में ख़र्च कम आता है. इसलिए सभी अपने खेती में घर बनाना चाहते है।

इन जमीनों की खरीदारी केवल घर बनाने के लिए नहीं बल्कि कमर्शियल और इंडस्ट्रियल काम के लिए भी हो रही है. क्या आपको पता है कि खेती की जमीन खरीद कर उस पर घर नहीं बनाया जा सकता.

खेती की जमीन पर घर बनाने के कुछ खास नियम हैं. इसके लिए खरीदार को जमीन का ट्रांफर कराना होता है. फिर खेती की जमीन पर घर बना सकते हैं.

 

बता दें की कनवर्जन का नियम कुछ ही राज्यों में हैं. अधिकांश राज्यों में खेती की जमीन खरीद कर उस पर घर बनाना पूरी तरह से गैर-कानूनी मन जाता है. आइये जानें इस नियम के बारेमे।

यूपी सरकार ने 2014 में “जमींदारी उन्मूलन और भूमि सुधार अधिनियम” की धारा 143 को बदल दिया. अधिनियम में लगभग सभी बदलाव इसलिए किए गए ताकि रियल एस्टेट डेवलपर्स उपजाऊ भूमि पर निर्माण कर सकें.

वहीं कर्नाटक सरकार ने खेती की जमीन को घर बनाने में इस्तेमाल करने के लिए 2022 में कर्नाटक भूमि राजस्व अधिनियम की धारा 95 में बदलाव किया. इसमें खरीदार को सेल्फ डिक्लेरेशन देना होता है जिसके 3 दिनों के भीतर जमीन के कनवर्जन की अनुमति मिल जाती है.

हालांकि, आज तक आमतौर पर केवल सूखी या बंजर भूमि को ही ट्रांफर के लिए प्राथमिकता दी जाती है. मंजूरी देने से पहले यह भी देखा जाता है कि वह लोगों के रहने लायक इलाके में है या नहीं.

जमीन Conversion कैसे होगा?

Conversion का नियम राज्यों में अलग-अलग होता है. कनवर्जन के लिए या तो जिले के राजस्व विभाग में बात करनी होती है या फिर प्लानिंग अथॉरिटी से.

इन सरकारी कार्यलयों से इजाजत मिलने के बाद ही जमीन का Conversion हो सकता है. अगर जमीन का बड़ा प्लॉट ले रहे हैं तो आपको अपने इलाके के टैक्स विभाग या प्लानिंग ऑफिसर से बात करनी होगी.

उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में किसी भी साइज की जमीन के मालिक को अपने शहरों की राजस्व एजेंसियों के पास जाना होगा.

हालांकि, राजस्थान में जिन लोगों के पास 2,500 वर्ग मीटर तक ज़मीन है, उन्हें तहसीलदार से बात करनी होती है. इससे बड़े प्लॉट के लिए मालिक को उपविभागीय अधिकारी (लेकिन 10,000 वर्ग मीटर से अधिक नहीं) से अनुमति लेनी होती है.

प्लॉट बहुत बड़ा हो तो लोगों को आमतौर पर राजस्थान राज्य के कलेक्टर या सरकार से अनुमति मिलती है. तभी जाकर उस प्लॉट काम किये जाते है।

कनवर्जन के लिए इन कागजों की जरूरत
  • मालिक का पहचान पत्र
  • मालिकाना हक, किरायेदारी और फसलों का रिकॉर्ड
  • सेल डीड और म्यूटेशन डीड
  • गिफ्ट पार्टिशन डीड अगर जमीन गिफ्ट में मिली हो
  • एनईसी यानी कि निल इनकंबरेंस सर्टिफिकेट
  • म्यूनिसिपल काउंसिल या ग्राम पंचायत से एनओसी
  • जमीन के मालिकाना हक का 7/12 कागज
  • सर्वे मैप
  • लैंड यूटिलाइजेशन प्लान
  • लैंड रेवेन्यू की रसीद
  • वाटर्स सर्टिफिकेट की पोर्टेबिलिटी
  • कनवर्जन से पहले इन बातों का ध्यान रखें

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