ROGO KI JANKARI :
हम आपको आज के इस आर्टिकल के माध्यम से यह बताने वाले है, की आप धान में आने वाले रोगो से कैसे बच सकते है। आपको इस आर्टिकल में पूरी जानकारी दी जाएंगी, आइये जानते क्या है पूरी जानकारी।
धान में लगने वाले मुख्य दो रोग होते है। जो इस प्रकार है, झोंका और झुलसा, आइये जानते है। इन दो रोगो के बारे में, और कैसे बचा सकते आप अपने के फसल को।
यह रोग को समय पर समाधान नहीं किया जाए, तो आपकी पूरी फसल ख़राब भी हो सकती है। धान में आने वाले इन दोनों मुख्य रोगों से फसल का बचाव मात्र 650 रुपए प्रति एकड़ खर्च कर के बचा जा सकता है।
धान के फसल के रोग
देशभर के किसानों ने अधिकांश में खरीफ की मुख्य फसल धान की बुवाई और रोपाई का कार्य लगभग पूरा हो गया है। इन किसानों द्वारा धान की फसल में देखभाल संबंधित महत्वपूर्ण कार्य किया जा रहा है।
अकसर देखा जा गया है, कि धान की रोपाई के 25 से 30 दिनों के बाद धान के पौधों में झोंका और झुलसा रोगों का आना चालू हो जाता है। धान में आने वाले ये दोनों रोग मुख्य रोग होते है। वह पाइरीकुलेरिया ओराइजी नामक कवक फफूंद (fungus) से बढ़ते जाते है।
धान में झोंका (Rice Blast) रोग की पहचान
- खेतो के धान में यह रोग पाइरीकुलेरिया ओराइजी नामक फफूंद (fungus)से फैलता जाता है।
- इस झोंका रोग के लक्षण धान के पौधे के सभी भागों में देखने मिलता है।
- धान के इस रोग के प्रारंभिक लक्षण में पौधे की निचली पत्तियों पर धब्बे दिखाई देते है।
- इन धब्बों के किनारे भूरे रंग और मध्य वाला भाग राख जैसे रंग का दिखाई देता है।
- वह फसल भुनी जैसी दिखाए देने लगती है।
झूलना रोग का प्रबंधन कैसे करें ?
झूलना रोग के लक्षण पहले से ही नर्सरी में दिखाई जाते है। इस रोग के मुख्य लक्षण खेत में धान की फसल में कल्ले बनने के अंतिम समय से ही दिखाई देने लगते है। इस रोग के लक्षण देखते, ही बताये गए दवाई का छिड़काव करना आवश्यक होता है।
आवश्यक दवाइयां
आप इस दवाई का उपयोग करे जिस में लस्टर 37.5 प्रतिशत एस.ई. 484 मिली प्रति एकड़ या गौडीवा सुपर 29.6 प्रतिशत एससी 200 से 484 मिली का छिड़काव करना होता है। इससे बीमारी को और अधिक फैलने से रोका जा सकता है।
इसके अलावा आप फसल में रोग नियंत्रण हेतु बायोवेल का जैविक कवकनाशी बायो ट्रूपर की 500 मिली/प्रति एकड़ में छिड़काव कर सकते हैं। आप अगर नर्सरी लगाना चाहते है तो शुद्ध और स्वस्थ बीजों का उपयोग करें।
नर्सरी लगाने से पहले 2.5 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन और 25 ग्राम कापर आक्सी क्लोराइड के घोल में 12 घंटे तक बीजों को डुबोकर रखें। ऐसा करने से इस बीमारी को और अधिक फैलने से रोका जा सकता है, और किसान आपने धान की फसल को बचा सकते है।
धान में लगने वाले कीट कोनसे है ?
- जड़ की सूड़ी
- पत्ती लपेटक
- नरई कीट
- गन्धी बग
- पत्ती लपेटक
- हिस्पा