Ancestral Property :

कोर्ट की ओर से आए एक फैसले के मुताबिक ये कहा गया है कि ऐसी स्थिति में बेटी को पिता की संपत्ति में हिस्सा नहीं मिलेगा… तो चलिए जानते है ये नए फैसले के बारेमे। आपको इस आर्टिकल को अंत तक पड़ना होगा।
‘मेरा बेटा ही मेरा वारिस बनेगा। मेरी सारी संपत्ति पर उसका ही अधिकार है।’ इस बात को पूरी तरह से बदलाव होने में अब भी काफी वक्त लगेगा। हालांकि, भारतीय कानून में यह बदलाव 2005 में किया गया था।
यही वह साल था जब हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 में बदलाव किया गया था। बेटियों को पैतृक संपत्ति में समान हिस्सा पाने का कानूनी अधिकार दिया गया था। अब आप यह सोच रहे होंगे कि हम आज इस विषय पर बात क्यों कर रहे हैं। दरअसल, हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने बेटियों के संपत्ति के अधिकार को लेकर एक नया फैसला सुनाया है।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
जो बेटी अपने पिता के साथ रिश्ता नहीं रखना चाहती है, उस बेटी का अपने पिता की संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं रहता है। रिश्ता नहीं रखने पर बेटी अपनी शिक्षा और शादी के लिए भी पिता से किसी तरह के पैसे की मांग नहीं कर सकती है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने एक विवाहित जोड़े के तलाक की सुनवाई के दौरान ये फैसला सुनाया।
क्या है पूरा मामला?
मौजूदा मामले में पति ने अपने वैवाहिक अधिकारों को लेकर एक याचिका दायर की थी। जिसे पंजाब और हरियाणा न्यायालय ने अस्वीकार कर दिया था। इसके बाद पति ने सुप्रीम कोर्ट में अपने तलाक की बात की है। सुप्रीम कोर्ट के मध्यस्थता केंद्र में पति-पत्नी और पिता-पुत्री के रिश्तों में सुलह की कोशिश की गई, लेकिन बात नहीं बनी।
कोर्ट ने कहा कि अगर मां चाहे तो अपनी बेटी की मदद कर सकती है। अगर वह बेटी का समर्थन करती है तो पति से मिलने वाले पैसे को अपनी बेटी को दे सकती है।
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